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Saturday, January 2, 2010

तस्करों के जाल में फंसी है भारत-नेपाल की सीमा

सीमाओं के प्रति संवेदनशील होने की आवश्यकता है। वरना बूंद बूंद से घड़ा भरता है, यह कहावत एक दिन किशनगंज जिले के नेपाल सीमा पर तस्कर सिद्ध करके दिखा देंगे। मामला नेपाल का माल भारत में और भारत का माल नेपाल में करने के लिए सीमा पर बसे लोगों के प्रयोग से जुड़ा है। बावजूद इसके सीमांचल की धरती बूंद बूंद की तस्करी के चलते मादक पदार्थो व जाली नोटों से पट रहा है। इसके लिए गंभीर चिंतन की अभी से ही जरूरत है। आये दिन नेपाल से लगी खुली सीमाओं के जरिए तस्कर जाली नोट, मादक पदार्थ, उर्वरक, हथियार इत्यादि गैर कानूनी चीजें हमारे मुल्क के अंदर दिन प्रतिदिन भेजते या ले जाते हैं।  उर्वरक, सीमेंट, चावल, डालडा आदि खाद्य पदार्थों की तस्करी करने वाले के माध्यम से नींद व होश उड़ा देने वाली बात तो ये है कि, ये ही लोग चन्द रुपए की मजदूरी में करोड़ों रुपए मूल्य के हेरोइन, अफीम, ब्राउन सुगर के अलावे जाली नोट भी पहुंचा देते हैं।अक्टूबर माह के प्रथम सप्ताह में एसएसबी के 21 वीं बटालियन द्वारा दिघलबैंक सीमा पर भारतीयों से जब्त हेरोइन यह बताने के लिए पर्याप्त है कि दो समय की मुश्किल से रोटी की व्यवस्था करने वाले के पास से 50 लाख रुपए मूल्य की हेरोइन मिलती है। सूत्र बताते है कि सीमा पर बसे अधिकांश गरीब परिवार तस्करों के संकेत पर कुली की तरह काम कर रहे हैं। दिन भर की मजदूरी का दो-तीन गुना ज्यादा देकर ं सरहद पार बैठे तस्कर भारत के ही लोगों को भारत के खिलाफ जमकर उपयोग भारत के खिलाफ कर रहे हैं। सीमा की रक्षा से जुड़े विशेषज्ञ इसका एक कारण नेपाल की खुली सीमा मानते हैं, जिसे बाड़ के जरिए सील करना अतिआवश्यक है। पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के आतंकवादी, नेपाल स्थित माओवादी संगठन, बांग्लादेश और चीन में बैठे भारत के दुश्मन भी नेपाल की खुली सीमा का लाभ उठा रहे हैं

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