अपना अज्ञातवाश पाडवों ने बिहार , नेपाल, एवं बंगाल के सीमा पर बसे ठाकुरगंज में बिताया था / यहाँ के विभिन्न जगहों पर मोजूद अवशेष इस बात की गवाही देते नजर आते है .की इस इलाके का इतिहास स्वर्णिम रहा है / समय के साथ सब कुछ बदल जाने के बाद भी ठाकुरगंज में पौराणिक अवशेष आज भी सुरक्षित है जिसे इतिहास के पन्नों में ''भीम तकिया ,भात - डाला , साग डाला के नाम से स्थान दिया गया है। यहाँ से पश्चिम में किचक वद्ध नामक जगह भी क्षेत्र के स्वर्णिम इतिहास की तरफ इशारा करता है / परन्तु इन सब के बाबजूद ठाकुरगंज जो एक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो सकता था आज भी उपेक्षित पड़ा है जबकि मुख्यमंत्री शहरी विकास योजना के अन्तर्गत ठाकुरगंज के पौराणिक स्थल को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा सकता है / इन सब में दार्जीलिंग ,गंगटोक जेसे समीपवर्ती पर्यटन स्थल तो सहयोगी सिद्ध होगे ही .
Tuesday, December 29, 2009
महाभारत काल से जुडा ठाकुरगंज उपेक्षित
अपना अज्ञातवाश पाडवों ने बिहार , नेपाल, एवं बंगाल के सीमा पर बसे ठाकुरगंज में बिताया था / यहाँ के विभिन्न जगहों पर मोजूद अवशेष इस बात की गवाही देते नजर आते है .की इस इलाके का इतिहास स्वर्णिम रहा है / समय के साथ सब कुछ बदल जाने के बाद भी ठाकुरगंज में पौराणिक अवशेष आज भी सुरक्षित है जिसे इतिहास के पन्नों में ''भीम तकिया ,भात - डाला , साग डाला के नाम से स्थान दिया गया है। यहाँ से पश्चिम में किचक वद्ध नामक जगह भी क्षेत्र के स्वर्णिम इतिहास की तरफ इशारा करता है / परन्तु इन सब के बाबजूद ठाकुरगंज जो एक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो सकता था आज भी उपेक्षित पड़ा है जबकि मुख्यमंत्री शहरी विकास योजना के अन्तर्गत ठाकुरगंज के पौराणिक स्थल को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा सकता है / इन सब में दार्जीलिंग ,गंगटोक जेसे समीपवर्ती पर्यटन स्थल तो सहयोगी सिद्ध होगे ही .
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