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Monday, May 22, 2023

मेरी ट्रेन यात्रा , न्युजलपाई गुडी से रायपुर यात्रा का अनुभव

 मेरी ट्रेन यात्रा 

न्युजलपाई गुडी से रायपुर यात्रा का अनुभव 





                       ट्रेन में यात्रा का एक अलग आनंद होता है। वह भी एक शादी समारोह में जाते ग्रुप के साथ यदि  यात्रा का मौका मिले तो इससे अच्छा अनुभव शायद न हो।  काफी दिनों बाद ट्रेन में यात्रा का मौका मिला , वह भी लगभग चोदह सो किमी लम्बी रेल यात्रा का , एक अलग सा उत्साह था इस यात्रा को लेकर ,  न्युजलपाई गुडी स्टेशन से हमारी यात्रा शुरू हुई हमारा गंतव्य  छतिसगढ़ की राजधानी रायपुर था।  उस दौरान रायपुर स्टेशन में हो रहे विकास कार्यो को लेकर हमारा स्टोपेज रायपुर से पहले उरकुरा स्टेशन पर होना था।  खेर लगभग आधे घंटे की लेट से हमारी ट्रेन न्युजलपाईगुडी स्टेशन पहुची , इससे पहले  अहले सुबह की ट्रेन पकड़ने के लिए हम मध्य रात्री ही स्टेशन पर पहुँच चुके थे।  कभी साफ़ सफाई के लिए उदहारण पेश करने वाले भारतीय रेलवे के स्टेशनों पर अब वह बात नहीं रही,  चारो तरफ गंदगी और इस कारण स्टेशन पर मच्छरो का डेरा।  करीब दो घंटे का समय मच्छरों से निपटने में बीता।  

                         वही जब ट्रेन के नियत समय से आधा घंटा बाद ट्रेन के आने की घोषणा हुई तो पुरे ग्रुप ने राहत की साँस ली।  अपने सामानों को कुलियों और साथी यात्रियों के साथ लेकर  हम ट्रेन का इन्तजार करने लगे।  ट्रेन न्युजलपाई गुडी स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर तीन पर जेसे ही आई हम अपने डब्बे में सामान चढ़ाने लग गए।  शादी का ग्रुप था लगभग तीस आदमी इस ग्रुप में थे बड़े बूढ़े , बच्चे और जवान सभी और सीट दो डब्बे में , वेसे भी हम मारवाड़ी  जब हम यात्रा करते हे तो सामान कुछ ज्यादा ही हो जाता है और यह तो शादी में जाने का मौका , स्वाभाविक है सामान कुछ ज्यादा ही  थे , ये सामान सेट करते करते ट्रेन स्टेशन को छोड़ कर अगले स्टेशन के लिए रवाना हो चुकी थी।  अगला स्टेशन था मालदा , इस दौरान सुबह हो चुकी थी हमारे ग्रुप में शामिल सभी लोगो को नींद आने लगी थी हमने भी एक सीट पकड़ी और थोडा नींद लेने की सोची , इस दौरान काफी देर तक  मालदा स्टेशन के आउटर पर गाडी रुकने के कारण ट्रेन में वेंडर की आवाजाही शुरू हो गई और हमारी नींद टूट गई , काफी देर तक मालदा स्टेशन के  आउटर पर ट्रेन रुकी रही।  ट्रेन के खड़े खड़े अचानक यह ख्याल आया की क्या भारतीय रेलवे की ट्रेनों का  आउटर पर रुकना कभी बंद होगा  या हमेशा यह झंझट यात्रियों को भुगतना होगा।  इसी दौरान बाथरूम की तरफ मेरे पाँव बढे लेकिन वहा खड़े यात्रियों ने सुचना दी की बाथरूम में पानी ही नहीं है।   यह तो मालदा स्टेशन आने के पहले ही मालुम पड़ जाने के कारण मेने इस बात की सुचना ट्विटर के जरिये सम्बन्धित अधिकारियों को दिया और मालदा में काम चलाऊ पानी डब्बो में चढ़ाया गया।  यह तो अच्छा हुआ की मालदा में डब्बे में पानी चढ़ाया गया क्योकि यहाँ के बाद इस ट्रेन में यह व्यवस्था सीधे खड़गपुर में मिलनी थी जो शाम को आता।  खेर मालदा स्टेशन पर गरम गरम चाय और शादीघर से लिए नास्ते के साथ दिन की अच्छी शुरुआत हुई ,   यहाँ से ट्रेन ने  अपनी रफ़्तार पकड़ी तो हमारी खातिरदारी भी शुरू हुई , भले हम लड़की के शादी में जा रहे थे लेकिन लड़की के पिता की शादी में जा रहे लोगो की खातिरदारी काबिलेतारीफ थी , नास्ता के बाद शुरू हुई खातिरदारी लगातार जारी थी , 








 वही बीच बीच में डब्बे में स्थानीय भेंडर का आना लगा हुआ था , झाल मुड़ी से लेकर तोलिया तक और जूता पालिस से लेकर पान मसाला तक भारतीय रेलवे में सब कुछ मिल सकता है , वही दुसरे डब्बे में गेट के टूटने का मामला भी इसी दौरान सामने आया ,




 हमने इसकी शिकायत तो ट्विटर पर की ही इन दिनों टेब के साथ घुमने वाले टीटी महोदय को भी कर दी , टेब के साथ टीटी महोदय को देखकर यह आभास हुआ की बदल तो रहा है भारतीय रेलवे , 

 इसी बीच डानकुनी स्टेशन पर हमारे दिल के टुकड़े मेरी दो बेटिया ट्रेन में चढ़ी , इन दोनों के इन्तजार में हमने खाना भी नहीं खाया था वेसे भी आज मेरी बेटी का जन्मदिन था , एक अलग ही उत्साह के साथ ट्रेन में हमने मझली बेटी का जन्मदिन मनाया , एक नये और यादगार रूप में ,



 इसके बाद खाने पीने का दौर चलता रहा , दो डब्बे में फैले साथी यात्रियों से मिलने जुलने के लिएसी डब्बे से उस डब्बे आना जाना भी लगा रहा . और फिर आया खड़कपुर जहां से रात का ताजा और गरम गरम खाना हमें मिला , सभी सहयात्रियों के साथ ट्रेन चलने के बाद हमने खाने का स्वाद लिया , और खेलते खेलते कब नींद के आगोश में आ गए की मालुम ही नहीं पड़ा , सुबह उस वक्त नींद टूटी जब सहयात्रियों ने डब्बे में साफ़ सफाई को लेकर हल्ला मचाना शुरू किया तो देखा की बाथरूम की सफाई नहीं होने से गंदा पानी डब्बे में आ रहा है , हमारी अटेचिया खराब न हो जाये इस कारन गन्दा पानी हमारे कूपे तक आये इसके पहले ही हमने सारे सामानों को बगल में मोजूद पेंटी कार में शिफ्ट किया और राहत की सास ली , इस दौरान प्रत्येक डब्बे में मोजूद सफाई कार्मियो को भी नींद से उठाकर हमने ,मामले की जानकारी और उन्होंने इस दौरान इसकी सफाई करवाई  , सच में प्रत्येक डब्बे में अलग  अलग सफाई कर्मी की मोजुदगी के कारण डब्बो की सफाई तुरंत होने लगी है , इसी दौरान हमारी ट्रेन हमारे गंतव्य स्टेशन उरकुरा पहुँचने वाली थी, ट्रेन अब तक चार घंटे लेट हो चुकी थी , इस स्टेशन पर उतरने का भी अलग ही अनुभव रहा , स्टेशन इतना छोटा की एक बार में आधी ट्रेन ही स्टेशन पर आती है , यानी इस ग्रुप को दो बार में स्टेशन पर उतरना पड़ा , पहले हम आगे वाले डिब्बे में मोजूद लोगो के साथ उतरे , उसके बाद ट्रेन का एक हिस्सा आगे बढ़ गया तब पिछले हिस्से में मोजूद साथी यात्री उतरे , आखिर कार किसी तरह हम रायपुर पहुच ही गए 
अब जल्दी ही वापसी यात्रा का अनुभव साझा करूँगा ,