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Sunday, October 9, 2011

किशनगंज में एएमयू केंद्र के मामले में हो रही है राजनीति

सीमांचल नाम से जाना – जानेवाला बिहार का पूर्वी इलाका इन दिनों सुर्ख़ियों में है | किशनगंज अररिया,पूर्णिया और कटिहार जिलों में यह भू – भाग नेपाल और बांग्लादेश की सीमाओं से सटता है और इस क्षेत्र में मुस्लिम आबादी की बहुलता है |  कभी संघ परिवार के  विद्यार्थी परिषद् द्वारा  चलाए गए घुसपैढ  विरोधी अभियान के कारण सुर्खियों में रहा यह इलाका जिसे लोग चिकेन नेक के रूप में भी जानता है आज अलीगढ मुस्लिम  विश्व विद्यालय  की शाखा खोलने के मामले में चर्चा मे है |  जब विद्यार्थी परिषद्घु ने घुसपैढ  विरोधी अभियान चलाया तो लोगो ने विशेषकर वोटबेंक की राजनीती करने वालो ने इसे मुस्लीम विरोधी अभीयान  के रूप में प्रचारित किया  गया तो कुछ लोगो ने  इन्हें शेरशाह सूरी का वंशज बताया | धीरे - धीरे सच्चाई  सबके सामने आ गई | आज इन बंगला देशीयो से सबसे ज्यादा वे सुरजापूरी मुसलमान प्रताड़ित है जिन्होंने पहले तो इन्हें बसाया | आज क्षेत्र में इन दोनों विरादरी के बीच झगडे आम बात है | पुन; वेसे ही राजनिति करने वाले नेता सक्रिय हो अलीगढ मुस्लिम  विश्व विद्यालय  की शाखा को मुस्लिम आत्मसम्मान से जोड़ कर गलियों में घूम रहे है |   
अब जब इस मामले में अलीगढ मुस्लिम  विश्व विद्यालय  के  कुलपति के द्वारा बिना  राष्ट्रपति के स्वीकृति के ही केंद्र खोलने के प्रयाश का पर्दा फाश हुआ तो अब कल तक बिहार सरकार को संघ के हाथो में खेलने वाला बताने वाले  यु पि ए दलों के कथित नेता आज यह बयान देते फिर रहे है की  कोई भी सरकार की गलती हो हमें तो  एएमयू चाहिए | कल तक पानी पी पी  कर संघ परिवार को कोसने वाले यु पी ए के नेता अब केंद्र की भूमिका पर कुछ भी नहीं बोल रहे  आखिर ऐसादोहरा मापदंड क्यों ?   पुरे मामले में एएमयू के कुलपती  की भूमिका की भी जांच जरूरी हो गई | क्षेत्र में एएमयू शाखा को लेकर हिन्दूओ एव मुसलमानों में जो दूरी इन दिनों पैदा हुई जिसका फायदा नेता उढा रहे है उसके लिए  एएमयू के कुलपती  ही सबसे ज्यादा जिम्मेदार है | एएमयू के कुलपती पि के अब्दुल अजीस द्वारा जिस हडबडी में पोधिया के शीतलपुर स्थित चाय बगान के बारे में प्रस्ताव जिला प्रशासन को दिया गया था | वह शुरुआती दोर से शक के घेरे में था | हालाकि क्षेत्र के एक अखबार प्रभात खबर ने 15 जुलाई  2011 को हे  इस  मामले के जांच के जरुरत को जरुरी बताते हुए समाचार प्रकाशित किया   था  |  हर अधिग्रहित की जाने वाली भूमी के पहले जो जांच होती है उसी तरह इसकी भी हुई मामला साफ ही नहीं हुआ लोंगो के आँखों में धुल फेखने का प्रयास विफल हुआ | इस चाय बगान का  बड़ा  भूभाग भूदान की जमीन का है | यानी भूदान के जमीन को एएमयू की आंड में देकर पूरा मुआवजा ले लिया जाय | कही इस पुरे मामले में चाय बगान मालिक ,  एएमयू कुलपति  एव  इन दिनों गली गली घूम रहे यु पी ए के नेताओ के तो मिली भगत नहीं |   शीतलपुर चाय बगान के मामले में किशनगंज जिला प्रशासन के द्वारा  स्थिती साफ़ कर देने  तथा   कुलपति के द्वारा बिना  राष्ट्रपति के स्वीकृति के ही केंद्र खोलने के प्रयास  का  बिहार सरकार द्वारा पर्दा फाश किए जाने के बाद स्थिती अब पुरी तरह साफ़ हो चुकी है | हालकी अब भी   संघ को ही पुरे मामले में घसीटा जाएगा जेसा अब तक होता आया है | कुलपति के द्वारा बिना  राष्ट्रपति के स्वीकृति के ही केंद्र खोलने के प्रयाश का पर्दा फाश हुआ |

Monday, September 5, 2011

मुंबई से चप्पल मंगाने के लिए मायावती ने भेजा खाली जहाज \विकीलीक्स खुलासे


                               विकीलीक्स के एक ताजे खुलासे के बाद  दलितों की मसीहा बनाने  की दावा करने वाली  यूपी की मुख्यमंत्री  मायावती  की कलई  खुल गई |   जिस उतर प्रदेश में एक बड़ी आबादी रात में. भूखे सोने को विवश है | वहा    खुद को दलितों की मसीहा बताने वाली मुख्यमंत्री मायावती ने अपने लिए एक जोड़ी चप्पल मुंबई से मंगाने के वास्ते एक निजी जेट विमान भेजा था. भारत में अमेरिकी दूतावस द्वारा वाशिंगटन को भेजे गए कई केबल में इस  खुलासे के बाद नेताओ की अयास्सी सामने आ गई |
                                  मायावती की पीएम बनने की महत्वाकांक्षा का भी वर्णन है. मायावती को जब भी चप्पलों की जरूरत होती है तो उनकी पसंदीदा ब्रांड के चप्पल को मुंबई से लाने के लिए उनका प्राइवेट जेट खाली ही उड़ान भरता है और चप्पल लेकर लखनऊ आ जाता है. अमरीकी केबल्स के अनुसार- मायावती किसी भी राज्य पहली ऎसी सीएम हैं, जिन्होंने अपने घर से दफ्तर के लिए निजी सड़कें बनवाई. माया की रईसी का आलम यह है कि यहां से गुजरने के बाद इस सड़क की सफाई की जाती है. 23 अक्टूबर 2008 के एक केबल के मुताबिक माया ने विरोधियों द्वारा जहर दिए जाने की आशंका के मद्देनजर एक फूड टेस्टर की नियुक्ति तक कर रखी है, जो माया के खाने-पीने की चीजों की सुरक्षा करता है.
                                विकीलीक्स द्वारा जारी केबल में कहा गया है कि वे अपने जन्मदिन पर नौकरशाहों, पार्टी कार्यकर्ताओं, उद्यमियों से अरबों रुपये गिफ्ट के रूप में लेती हैं और उनके अफसर उन्हें केक खिलाने का मौका तलाशते रहते हैं. है.एक जगह बताया गया है कि मायावती ने एक नौकरशाह से इसलिए इस्तीफा ले लिया क्योंकि उनकी बेटी दिल्ली में कांग्रेस में शामिल हो गई थी. एक पत्रकार के हवाले से केबल में कहा गया है कि मायावती ने अपने एक मंत्री को दंडित करते  हुए कई घंटे तक अपने सामने जमीन पर बिठाए रखा क्योंकि उसने गलती यह की थी कि राज्यपाल से मिलने जाने से पहले इसके लिए मायावती से अनुमति नहीं ली थी. यह भी कहा गया है कि यूपी में मायावती के राज में स्थिति थोड़ी बेहतर इसलिए हो जाती है क्योंकि सारा भ्रष्टाचार मायावती सिर्फ अपने हाथ में रखती हैं, किसी और को नहीं करने देतीं.
                                 मायावती ने अपनी रसोई में कुल 9 कुक नियुक्त कर रखे हैं. इन नौ में से दो तो खाना पकाते हैं और बाकी सात लोग खाना पकाने वाले दो लोगों पर नजर रखते हैं. इस केबल में मायावती की जीवनशैली, सोच, राजनीति, भ्रष्टाचार और पार्टी चलाने तौर-तरीके आदि का खुलकर विश्लेषण किया गया है. मायावती को तमाम उपमाओं से भी नवाजा गया है. जैसे कि उन्हें “a first rate egomaniac” कहा गया है. उनके यूपी पर शासन के तरीके को “like a fiefdom” बताया गया है. .
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Sunday, September 4, 2011

फाइलों में हैं 12 शहरों के बदले हुए नाम


                 पश्चिम बंगाल का नाम पश्चिम बंग किए जाने का प्रस्ताव पिछले दिनों ममता बनर्जी सरकार द्वारा केंद्र को भेज दिया गया है। लेकिन ऐसे प्रस्ताव 1२ शहरों के लिए पहले ही भेजे जा चुके हैं। जिनकी फाइल किसी न किसी स्तर पर अटकी हुई है। इन प्रस्तावों में सबसे पुराना है पटना का। जो 1980 से लंबित है। ज्यादातर प्रस्ताव ऐसे शहरों के हैं, जिनके नाम मुगलकाल में रखे गए। मांग की जा रही है कि इन्हें बदलकर स्थानीय कर दिया जाए। हालांकि, कई मामलों में बदलाव का प्रस्ताव निर्विरोध नहीं है।
नाम के बदलाव का प्रस्ताव क्यों:
1. अहमदाबाद से कर्णावती
क्यों: 11वीं शताब्दी में राजा कर्णादेव ने कर्णावटी शहर बसाया। 15वीं शताब्दी में सुल्तान अहमद शाह ने शहर का नाम अहमदाबाद कर दिया। हुआ क्या: 11 मई 1990 को गुजरात सरकार के पास शहर का नाम बदलने का प्रस्ताव आया। इसे केंद्र सरकार को भेजा गया। केंद्र ने तो फैसला नहीं लिया, लेकिन अहमदाबाद म्युनिसिपल कापरेरेशन में कांग्रेस का बोर्ड बनते ही वह प्रस्ताव को रद्द कर दिया गया।
२. भोपाल से भोजपाल
क्यों: 1010-1055 के बीच राजा भोज ने भोजपाल नाम से शहर बसाया। १७२३ में नवाब दोस्त मोहम्मद खान ने इसे भोपाल नाम दिया।
हुआ क्या: 28 फरवरी 2011 को मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने शहर का नाम बदलने के लिए नगर निगम और जिला पंचायत से प्रस्ताव मांगा। जिला पंचायत से तो सहमति का प्रस्ताव मिल गया, लेकिन नगर निगम में यह दो बार खारिज हो चुका है।
३. इंदौर से इंदूर:
क्यों:
14वीं शताब्दी के इंद्रपुर को 17वीं शताब्दी में मराठा होलकर शासकों ने इंदूर नाम दिया। आजादी के बाद इसे इंदौर कर दिया गया।
हुआ क्या:
1976 में इंदौर को दोबारा इंदूर करने की मांग उठी। 1992 में इंदौर के पूर्व राजा रावनंदलाल मंडलोई के वंशज निरंजन जमींदार ने यह मामला फिर उठाया। प्रस्ताव मुख्यमंत्री की टेबल से आगे नहीं बढ़ा।
४. औरंगाबाद से संभाजीनगर: क्यों:
16वीं शताब्दी में औरंगजेब ने शहर को अपना नाम दिया। शिवाजी के पुत्र संभाजीराजे ने इस क्षेत्र में युद्ध किया।
हुआ क्या:
शिवसेना के बोर्ड वाले नगर निगम ने इसी साल शहर का नाम बदलकर संभाजीनगर करने का प्रस्ताव राज्य शासन के पास भेजा। लेकिन मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने इसे बदलने से इनकार कर दिया।
५. इलाहाबाद से प्रयाग या तीर्थ राज प्रयाग
क्यों: उत्तर भारत के सबसे पुराने शहर प्रयाग का नाम मुगल शासनकाल के दौरान 15वीं शताब्दी में इलाहाबाद कर दिया गया। हुआ क्या: 2001 में उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार ने केंद्र की एनडीए सरकार के पास शहर का नाम बदलने का प्रस्ताव भेजा। इसके विरोध में आल इंडिया मुस्लिम फोरम और पर्सनल लॉ बोर्ड ने विरोध दर्ज कराया। प्रस्ताव को मंजूरी नहीं मिली।
६. मुगलसराय से दीनदयाल नगर
क्यों:
जनसंघ के अध्यक्ष दीनदयाल उपाध्याय की इसी शहर में मौत हुई थी। इसलिए भाजपा सरकार नाम बदलना चाहती थी। हुआ क्या: 1999 में उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री कल्याणसिंह ने मुगलसराय का नाम दीनदयाल नगर करने की घोषणा की। इस बारे में प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा गया। लेकिन कुछ दिनों के बाद भाजपा सरकार गिर गई, फिर इस बारे में कोई पूछताछ नहीं हुई।
७. पटना से पाटलीपुत्र
क्यों: पांचवी शताब्दी इसा पूर्व में मगध राज्य की राजधानी का नाम पाटलीपुत्र रखा गया, जिसने चंद्रगुप्त मौर्य और सम्राट अशोक के शासनकाल में ख्याति अर्जित की। पांच सौ वर्ष पहले इसका नाम बदलकर पटना कर दिया गया।
हुआ क्या: 1980 में बिहार सरकार ने केंद्र के पास शहर का नाम बदलने का प्रस्ताव भेजा। लेकिन उस पर कोई जवाब नहीं आया।
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ये भी हैं प्रस्ताव
८. हैदराबाद से भाग्यनगरम्
९. मैसूर से मैसूरू
1क्. मेंगलोर से मेंगलुरू
1१. आरटी नगर से राठीनगर
1२. अलीबाग से श्रीबाग --------------------------------------
बदलाव की मुख्य वजह:
-अंग्रेजी नामों की जगह स्थानीय नाम देने के लिए। (कालीकट को कोझीकोड किया गया)
-यूरोपीय मूल के नामों को भारतीय मूल का नाम बनाने के लिए। (पुर्तगाली नाम बांबे को मुंबई किया गया)
-स्थानीय भाषा के अनुसार अंग्रेजी स्पेलिंग बदली गई। (क्वीलोन को बदलकर कोल्लम किया गया)
-अरबी या फारसीमूल के नामों को भारतीय मूल का नाम देने के लिए। (अहमदाबाद का प्रस्तावित नाम कर्णावती)

अफ़जल गुरू पर खर्च हुई रकम का रिकॉर्ड नहीं


नयी दिल्लीः संसद पर हमले के दोषी और मौत की सजा पाने वाले अफ़जल गुरू की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कितनी रकम खर्च हुई, इसका ब्यौरा तिहाड़ जेल के अधिकारियों के पास नहीं है.
सूचना का अधिकार कानून के तहत मांगे गए एक प्रश्न के जवाब में जेल अधिकारियों ने यह सूचना दी है. अधिकारियों ने आवेदनकर्ता को बताया कि किसी भी कैदी के उपर खर्च होनेवाली इस तरह की राशि का ब्यौरा नहीं रखा जाता है. तिहाड़ जेल के जेल महानिदेशक कार्यालय के सार्वजनिक सूचना अधिकारी ने आवेदन के जवाब में कहा, किसी भी कैदी की सुरक्षा, सलामती और खाने-पीने के उपर खर्च होनेवाली राशि का ब्यौरा नहीं रखा गया है.
गौरतलब है कि अहमदाबाद स्थित राष्ट्रीय नागरिक अधिकार परिषद् (नेशनल काउंसिल फ़ॉर सिविल लिबर्टीज) नामक एक गैर सरकारी संगठन ने यह आवेदन दाखिल किया था और पूछा था कि सरकार ने अफ़जल गुरू की सुरक्षा और उसके खाने-पीने पर अभी तक कितना पैसा खर्च किया है. दूसरी तरफ़, एनजीओ के उपाध्यक्ष मुकेश कुमार ने इस जवाब को अविश्वसनीय बताया है और इसके खिलाफ़ जेल महानिदेशक कार्यालय की प्रथम अपीलीय प्राधिकरण के सामने अपील की है. इस अपील में कुमार ने दावा किया है कि उनकी जानकारी के मुताबिक, हर जेल में हाई-प्रोफ़ाइल कैदियों के खर्चों का ब्यौरा रखा जाता है.
अपने इस दावे की पुष्टि के लिए उन्होंने उन मीडिया रिपोर्टों का हवाला दिया है, जिनमें कहा गया था कि महाराष्ट्र सरकार, मुंबई हमलों के दोषी अजमल कसाब की सुरक्षा और खाने-पीने पर होने वाले खर्चे का ब्यौरा रख रही है. अपील में एनजीओ ने कहा, हमारी जानकारी के मुताबिक इस तरह के हाई-प्रोफ़ाइल कैदी अफ़जल गुरू विशेष कक्ष में रखे जाते हैं और उसके उपर होने वाले हर तरह के खर्चे का ब्यौरा जेल अधिकारियों द्वारा रखा जाता है.

Thursday, August 18, 2011

आजादी के बाद से लेकर अब तक हुए प्रमुख घोटाले


                    आजादी के बाद से लेकर अब तक हुए प्रमुख घोटाले 

आजादी के बाद से लेकर अब तक हुए प्रमुख घोटाले-जिनमे से अधिकांश को हम भूल चुके हैं
    (1) 1948   जीप घोटाला,बी के कृष्ण मेनन | आज़ाद भारत का पहला घोटाला
    (2)1951   साइकिल घोटाला, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के सचिव फंसे
    (3)1956   बीएचयू फंड घोटाला, आज़ाद भारत का पहला शैक्षणिक घोटाला
    (4)1958   मूंध्रा घोटाला, फिरोज गांधी ने किया खुलासा, फंसे वित्त मंत्री
    (5)1963   आज़ाद भारत में मुख्यमंत्री पद के दुरुपयोग का पहला मामला, आरोप प्रताप सिंह कैरों (पंजाब) पर
    (6)1965   उड़ीसा के मुख्यमंत्री बीजू पटनायक पर अपनी ही कंपनी को फायदा पहुंचाने का आरोप
    (7)1971   नागरवाला कांड. दिल्ली के पार्लियामेंट स्ट्रीट स्थित स्टेट बैंक शाखा से लाखों रुपये मांगने का            
                    मामला, इसमें इंदिरा गांधी का नाम भी उछल
    (8)1974 -  मारुति घोटाला (1974)  इंदिरा गांधी,संजय गांधी !
    (9) 1976   कुओ तेल घोटाला. आईओसी ने हांगकांग की फर्ज़ी कंपनी के साथ डील की,
    (10)1982- महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ए आर अंतुले ने ट्रस्टो के नाम पर अवेध उगाही की| मुख्यमंत्री पद  
          से ए आर अंतुले को हटना   पडा |
    (11)1986 में बोफोर्स  घोटाला| स्वीडन की ए बी बोफोर्स कंपनी से 155 तोपें खरीदने का सौदा में 64 
          करोड़ रुपये की दलाली दी गई थी | क्वात्रोची और राजीव गांधी का नाम इसमें सामने आया. 
    (12)1989  सेंट किट्‌स धोखाधड़ी.   वी पी सिंह पर अवैध पैसा लेने का आरोप लगवाया गया .  
    (13) 1990 बिहार का चारा घोटाला. लालू प्रसाद यादव जब मुख्यमंत्री थे तो  950 करोड़ रुपए का यह 
          घोटाला सामने आया.   .
    (14) 1990 - अनंतनाग ट्रांसपोर्ट सब्सिडी स्कैम, चुरहट लाटरी स्कैम, एयरबस स्कैंडल 
    (15) 1992 - शेयर बाजार घोटाला- 4000 करोड़ रुपए के इस घोटाले में दलाल हर्षद मेहता ने इस मामले 
          में नरसिम्हाराव पर भी आरोप लगाया था, लेकिन अंत तक असली अपराधियों का नाम सामने नहीं 
          आ सका. हर्षद मेहता की मृत्यु जेल में रहने के दौरान ही हो गई
    (16)1995 प्रीफेंशियल अलॉटमेंट घोटाला 5000 करोड़
    (17)1992 - इन्डियन  बैंक घोटाला  
    (18)1992 -  सिक्योरिटी स्कैम  
    (19) लक्खू भाई पाठक केस. अचार व्यापारी लक्खू भाई पाठक ने नरसिम्हाराव और चंद्रा स्वामी पर 10 लाख रुपये रिश्वत लेने  का आरोप लगाया. लक्खू भाई पाठक इंग्लैंड में रहने वाले भारतीय व्यापारी थे
    (20) 1996 दूरसंचार घोटाला -  सरकार को 1.6 करोड़ रुपये का घाटा हुआ.
    (21)1996 यूरिया घोटाला -  दो लाख टन यूरिया आयात करने के मामले में सरकार को 133 करोड़ रुपये का चूना लगा दिया. यह यूरिया कभी भारत तक पहुंच ही नहीं पाई.
    (22) हवाला घोटाला - 1991 में सीबीआई  छापे में एस के जैन की डायरी बरामद हुई. इस घोटाले में 18 मिलियन डॉलर घूस के रूप में देने का मामला सामने आया, जो कि बड़े-बड़े राजनेताओं को दी गई थी. आरोपियों में से एक लालकृष्ण आडवाणी भी थे, जो उस समय नेता विपक्ष थे.
    (23)1993 - सांसद घुस काण्ड  नरसिम्हाराव के समय झारखंड मुक्ति मोर्चा के सांसद  को 30-30 लाख रुपये दिए गए, ताकि  नरसिम्हाराव की सरकार को समर्थन देकर बचाया जा सके. यह घटना 1993 की है. इस मामले में शिबू सोरेन को जेल भी जाना पड़ा. 
    (24)चीनी घोटाला - 1994 में खाद्य आपूर्ति मंत्री कल्पनाथ राय ने बा़जार भाव से भी महंगी दर पर चीनी आयात का फैसला लिया. यानी चीनी घोटाला. इस कारण सरकार को 650 करोड़ रुपये का चूना लगा. अंतत: उन्हें त्यागपत्र देना पड़ा. उन्हें इस मामले में जेल भी जाना पड़ा
    (25)1995 जूता घोटाला. सोहिन दया नामक एक व्यापारी ने मेट्रो शूज के रफीक तेजानी और मिलानो शूज के किशोर सिगनापुरकर के साथ मिलकर कई सारी फर्जी चमड़ा कोऑपरेटिव सोसाइटियां बनाईं और सरकारी धन लूटा.
    (26)1995 मेघालय फॉरेस्ट घोटाला 300 करोड़
    (27)1995 कॉबलर घोटाला 1000 करोड़
    (28)1995 यूगोस्लेव दिनार घोटाला (हवाला) 400 करोड़
    (29)1995 वीरेंद्र रस्तोगी (कस्टम व कर घोटाला) 43 करोड़
    (30)1997 बिहार भूमि घोटाला 400 करोड़
    (31)1997 एसएनसी पॉवर प्रोजेक्ट घोटाला 374 करोड
     (32)तहलका के स्टिंग ऑपरेशन ने यह खुलासा किया कि कैसे कुछ वरिष्ठ नेता रक्षा समझौते में गड़बड़ी करते हैं.भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष को रिश्वत लेते हुए लोगों ने टेलीविजन और अ़खबारों में देखा. इस घोटाले में तत्कालीन रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडीज और भारतीय नौसेना के पूर्व प्रमुख एडमिरल सुशील कुमार का नाम भी सामने आया. इस मामले में अटल बिहारी वाजपेयी ने जॉर्ज फर्नांडीज का इस्ती़फा मंजूर करने से इंकार कर दिया. हालांकि बाद में जॉर्ज ने इस्ती़फा दे दिया. 
    (33)2000 - मैच फिक्सिंग के लिए  याद कीजिए. जेंटलमैन स्पोट्‌र्स यानी क्रिकेट में मैच फिक्सिंग का धब्बा पहली बार भारतीय खिलाड़ियों पर लगा. इसमें प्रमुख रूप से अज़हरुद्दीन और अजय जडेजा का नाम सामने आया. अजय शर्मा और अजहर पर आजीवन प्रतिबंध लगा तो जडेजा और मनोज प्रभाकर पर पांच साल का प्रतिबंध
    (34)1998 उदय गोयल(कृषि उपज निवेश) घोटाला 210 करोड़
    (35)1998 टीक प्लांटेशन घोटाला 8000 करोड़(25)1999 - ताबूत घोटाला 
     (36)2001 केतन पारिख (प्रतिभूति घोटाला) 1000 करोड़2001 दिनेश डालमिया शेयर घोटाला 595 करोड़
    (37)2002 संजय अग्रवाल(गृह निवेश) घोटाला 600 करोड़
    (38)2002 कलकत्ता स्टॉक एक्सचेंज घोटाला 120 करोड़
    (39)बराक मिसाइल रक्षा सौदे में भ्रष्टाचार का एक और नमूना बराक मिसाइल की खरीदारी में देखने को मिला. इसे इज़रायल से खरीदा जाना था, जिसकी क़ीमत लगभग 270 मिलियन डॉलर थी. इस सौदे पर डीआरडीपी के तत्कालीन अध्यक्ष ए पी जे अब्दुल कलाम ने भी आपत्ति दर्ज कराई थी. फिर भी यह सौदा हुआ. इस मामले में एफआईआर भी दर्ज हुई. एफआईआर में समता पार्टी के पूर्व कोषाध्यक्ष आर के जैन की गिरफ्तारी भी हुई. जॉर्ज फर्नांडीस, जया जेटली और नौसेना के एक पूर्व अधिकारी सुरेश नंदा के खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज हुई. 

    (40)2001 यूटीआई घोटाला. 48 हजार करोड़ रुपये का यह घोटाला पूर्व यूटीआई चेयरमैन पी एस सुब्रमण्यम और दो निदेशकों एम एम कपूर और एस के बासु ने मिलकर किया. ये सभी गिरफ्तार हुए, लेकिन सज़ा किसी को नहीं मिली.
    (41)2003  20000 करोड़ स्टांप पेपर घोटाला जब सामने आया था, तब इसे सबसे बड़े घोटाले का ताज मिला था. इसके पीछे अब्दुल करीम तेलगी को मास्टर माइंड बताया गया. इस मामले में उच्च पुलिस अधिकारी से लेकर राजनेता तक शामिल थे. तेलगी की गिरफ्तारी तो ज़रूर हुई, लेकिन इस घोटाले के कुछ और अहम खिलाड़ी साफ बच निकलने में अब तक कामयाब हैं.
    (42)2005 बिहार बाढ़ आपदा राहत घोटाला 17 करोड़
    (43)2005 स्कॉर्पियन पनडुब्बी घोटाला 18,978 करोड़
    (44)तेल के बदले अनाज. वोल्कर रिपोर्ट के आधार पर यह बात सामने आई कि तत्कालीन विदेश मंत्री नटवर सिंह ने अपने बेटे को तेल का ठेका दिलाने के लिए अपने पद का दुरुपयोग किया. उन्हें इस्ती़फा देना पड़ा, हालांकि सरकार ने उन्हें बिना विभाग का मंत्री बनाए रखा. 
    (45)2006 पंजाब सिटी सेंटर प्रोजेक्ट घोटाला 1500 करोड़
    (46)सत्यम घोटाला. कार्पोरेट जगत का शायद सबसे बड़ा घोटाला. 14 हज़ार करोड़ रुपये के इस घोटाले में सत्यम कंप्यूटर सर्विसेज के मालिक राम लिंग राजू का नाम आया. राजू ने इस्ती़फा दिया और वह अभी भी जेल में हैं. मुकदमा चल रहा है
    (47)2008 हसन अली (टैक्स व हवाला ) 39,120 करोड़
    (48)2008 स्विस बैंक में मौजूद काला धन 210000 करोड़
    (49)2008 स्टेट बैंक ऑफ सौराष्ट्र घोटाला 95 करोड़
    (50)2008 सैन्य राशन घोटाला 5000 करो
    (51)2009 झारखंड खदान घोटाला 4000 करोड़ - झारखंड के मुख्यमंत्री मधु कोड़ा ने. 4 हज़ार करोड़ से भी ज्यादा की काली कमाई की कोड़ा ने. बाद में इन पैसों को विदेश भेजकर जमा किया और विदेशों में निवेश किया. इस मामले में केस दर्ज हुआ. कोड़ा फिलहाल जेल में हैं. जांच चल रही है.
     (52)2009 चावल निर्यात घोटाला 2500 करोड़
    (53)2009 उड़ीसा खदान घोटाला 7000 करोड़
    (54)2009 झारखंड मेडिकल उपकरण घोटाला 130 करोड़
    (55)कैश फॉर वोट स्कैंडल (2003)
    (56) 2010 - राष्ट्रमंडल खेल घोटाला. हजारों करोड़ रुपये का घोटाला, जिसमें अधिकारी से लेकर नेता तक शामिल थे. सीवीसी ने अपनी जांच में कहा कि अनियमितताएं हुईं. फिलहाल सुरेश कलमाडी को राष्ट्रमंडल खेल आयोजन समिति के अध्यक्ष पद से हटा दिया गया है. सीबीआई जांच कर रही है. कुछ अधिकारियों को गिरफ्तार किया गया 
    (57)2010  आदर्श घोटाला. आदर्श कोऑपरेटिव सोसाइटी (लि.) ने ग़ैर क़ानूनी तरीक़े से कोलाबा के आवासीय क्षेत्र नेवी नगर और रक्षा प्रतिष्ठान के आसपास इमारत का निर्माण किया. यह योजना कारगिल युद्ध में शहीद हुए लोगों के परिवार वालों के लिए बनाई गई थी, जबकि इसके फ्लैट्‌स 80 फीसदी असैनिक नागरिकों को आवंटित किए गए. इस कारनामे में सेना के शीर्ष अधिकारी तक शामिल थे. सेना के दोषी अधिकारियों के खिला़फ कार्रवाई होनी बाकी है. मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण से इस्ती़फा ले लिया गया.

    (58) 2003 - ताज कॉरिडोर. 175 करोड़ रुपये के इस घोटाले में उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती पर लगातार तलवार लटकी रही और अब भी लटकी हुई है. 

    (59)2011 - २ जी स्पेक्ट्रम घोटाला -  2 जी स्पेक्ट्रम घोटाला करीब 1.77 लाख करोड़ रुपये का है।2 जी स्पेक्ट्रम के आवंटन के लिए बोली लगाने के दौरान अनियमितताओं के आरोपों के बाद   दूरसंचार मंत्री ए राजा की विदाई एवं गिरफ्तारी , उच्च स्तरीय नाटक में  बड़ो पर धांधली का आरोप | 

    (60) 2011 - रेलवे के तत्‍काल रिजर्वेशन में घोटाला

    (61) 2011 -  कोयला घोटाला करीब चालीस लाख करोड़ का है। यानी टूजी घोटाले से पच्चीस गुना   

                           बड़ा घोटाला।  


    (62)आईपीएल घोटाला - आईपीएल में 1200 से 1500 करोड़ रुपए का घोटाला होने की बात कही जा रही है।