www.thakurganj.co.in एक तरफ सरकार आतंकी ही नहीं, नक्सलीयो द्वारा नेपाल और भूटान की सीमा का इस्तेमाल करने की आशंका बतात्ते हुए सीमा पर निगरानी और खुफिया तंत्र को और मजबूत करने की बात कर रही है | इसके लिए सशस्त्र सीमा बल [एसएसबी] की 32 और कंपनियां नेपाल एवं भूटान सीमा पर तेनात करने की तेयारी कर रही है परन्तु क्या सरकार यह जानती है पहले से सीमा पर तेनात एस एस बी की कई बटालियने को आज भी वर्षो बाद जमींन नहीं मिल पाई है | सरकार के इस मद में आवंटित करोडो रूपए बेकार पड़े है ओर जवान किराए की जमीन पर एक तरह से खुले में रहने को विवश है | जब जवानही असुरक्षित है तो सरकार केसे सीमा सुरक्षा का दावा कर सकती है | बिहार, उत्तर प्रदेश, उत्तरांचल, पश्चिम बंगाल और सिक्किम से लगी नेपाल की 1751 किलोमीटर लंबी सीमा के अलावा भूटान की 669 किलोमीटर की सीमा की निगरानी कर रहे विभिन्न बटालियन के बारे में नहीं जानता , परन्तु बिहार के किशनगंज जिले में एस एस बी की जिन दो बटालियन की स्थापना है। उनमें एक २२ वी बटालियन एव दूसरी ३६ वी बटालियन दोनों को अपनी स्थापना की लगभ ग ५ वर्षो बाद भी जमीन नहीं मिलने से जवान ही नहीं पुरी सीमा असुरक्षित बनी हुई है | सीमा पार से तस्करी और दूसरी गैर कानूनी गतिविधियों को रोकने की जिम्मेदारी भी इन्हीं के ऊपर है। तथा भारत-नेपाल सीमा के लिए इसे प्रमुख खुफिया एजेंसी भी बनाया गया है।