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Sunday, October 9, 2011

किशनगंज में एएमयू केंद्र के मामले में हो रही है राजनीति

सीमांचल नाम से जाना – जानेवाला बिहार का पूर्वी इलाका इन दिनों सुर्ख़ियों में है | किशनगंज अररिया,पूर्णिया और कटिहार जिलों में यह भू – भाग नेपाल और बांग्लादेश की सीमाओं से सटता है और इस क्षेत्र में मुस्लिम आबादी की बहुलता है |  कभी संघ परिवार के  विद्यार्थी परिषद् द्वारा  चलाए गए घुसपैढ  विरोधी अभियान के कारण सुर्खियों में रहा यह इलाका जिसे लोग चिकेन नेक के रूप में भी जानता है आज अलीगढ मुस्लिम  विश्व विद्यालय  की शाखा खोलने के मामले में चर्चा मे है |  जब विद्यार्थी परिषद्घु ने घुसपैढ  विरोधी अभियान चलाया तो लोगो ने विशेषकर वोटबेंक की राजनीती करने वालो ने इसे मुस्लीम विरोधी अभीयान  के रूप में प्रचारित किया  गया तो कुछ लोगो ने  इन्हें शेरशाह सूरी का वंशज बताया | धीरे - धीरे सच्चाई  सबके सामने आ गई | आज इन बंगला देशीयो से सबसे ज्यादा वे सुरजापूरी मुसलमान प्रताड़ित है जिन्होंने पहले तो इन्हें बसाया | आज क्षेत्र में इन दोनों विरादरी के बीच झगडे आम बात है | पुन; वेसे ही राजनिति करने वाले नेता सक्रिय हो अलीगढ मुस्लिम  विश्व विद्यालय  की शाखा को मुस्लिम आत्मसम्मान से जोड़ कर गलियों में घूम रहे है |   
अब जब इस मामले में अलीगढ मुस्लिम  विश्व विद्यालय  के  कुलपति के द्वारा बिना  राष्ट्रपति के स्वीकृति के ही केंद्र खोलने के प्रयाश का पर्दा फाश हुआ तो अब कल तक बिहार सरकार को संघ के हाथो में खेलने वाला बताने वाले  यु पि ए दलों के कथित नेता आज यह बयान देते फिर रहे है की  कोई भी सरकार की गलती हो हमें तो  एएमयू चाहिए | कल तक पानी पी पी  कर संघ परिवार को कोसने वाले यु पी ए के नेता अब केंद्र की भूमिका पर कुछ भी नहीं बोल रहे  आखिर ऐसादोहरा मापदंड क्यों ?   पुरे मामले में एएमयू के कुलपती  की भूमिका की भी जांच जरूरी हो गई | क्षेत्र में एएमयू शाखा को लेकर हिन्दूओ एव मुसलमानों में जो दूरी इन दिनों पैदा हुई जिसका फायदा नेता उढा रहे है उसके लिए  एएमयू के कुलपती  ही सबसे ज्यादा जिम्मेदार है | एएमयू के कुलपती पि के अब्दुल अजीस द्वारा जिस हडबडी में पोधिया के शीतलपुर स्थित चाय बगान के बारे में प्रस्ताव जिला प्रशासन को दिया गया था | वह शुरुआती दोर से शक के घेरे में था | हालाकि क्षेत्र के एक अखबार प्रभात खबर ने 15 जुलाई  2011 को हे  इस  मामले के जांच के जरुरत को जरुरी बताते हुए समाचार प्रकाशित किया   था  |  हर अधिग्रहित की जाने वाली भूमी के पहले जो जांच होती है उसी तरह इसकी भी हुई मामला साफ ही नहीं हुआ लोंगो के आँखों में धुल फेखने का प्रयास विफल हुआ | इस चाय बगान का  बड़ा  भूभाग भूदान की जमीन का है | यानी भूदान के जमीन को एएमयू की आंड में देकर पूरा मुआवजा ले लिया जाय | कही इस पुरे मामले में चाय बगान मालिक ,  एएमयू कुलपति  एव  इन दिनों गली गली घूम रहे यु पी ए के नेताओ के तो मिली भगत नहीं |   शीतलपुर चाय बगान के मामले में किशनगंज जिला प्रशासन के द्वारा  स्थिती साफ़ कर देने  तथा   कुलपति के द्वारा बिना  राष्ट्रपति के स्वीकृति के ही केंद्र खोलने के प्रयास  का  बिहार सरकार द्वारा पर्दा फाश किए जाने के बाद स्थिती अब पुरी तरह साफ़ हो चुकी है | हालकी अब भी   संघ को ही पुरे मामले में घसीटा जाएगा जेसा अब तक होता आया है | कुलपति के द्वारा बिना  राष्ट्रपति के स्वीकृति के ही केंद्र खोलने के प्रयाश का पर्दा फाश हुआ |