इसी किशनगंज में महाभारत.के दोरान पांडवो ने अज्ञात वाश का समय कटा था | पांडवो के अज्ञात वाश की कहानिया आज भी लोगो को किशनगंज के स्वर्णिम इतिहास की यद् दिलाता है |पालवंश ,गोर वंश ,भूटिया ,एवं नेपालियों के साशन भी यहाँ के लोगो ने देखे है | शायद सम्पूर्ण विश्व में यही एक मात्र इलाका है जहा भगवान सूर्य के नाम पर सुरजापूरी भाषा का उदय हुआ | ऐतिहासिक अभिलेख कहते हैं, कि मुगल काल के दौरान किशनगंज नेपाल के साम्राज्य का हिस्सा था और नेपालगंज के रूप में जाना जाता था | यहा की साशन ब्यवस्था के लिए मुगल बादशाह शाह आलम ने मोहम्मद रजा की नियुक्ति की. मोहम्मद रजा ने नेपालगढ़ किले पर कब्ज़ा कर लिया और नाम को बदलते हुए आलमगंज रखा गया | हर साल ऐतिहासिक Khagra मेला जो पशु मेले के रूप में प्रसिद्ध है Fakiruddin,के आवास के निकट आयोजित की जाती थी , जो आज भी आयोजित किया जाता है |
यही किशनगंज जो 14 जनवरी १९९० को पूर्णिया जिले से अलग होकर एक जिले के रूप में अस्तित्व में आया | कश्मीर घाटी के बाद भारत की दूसरी सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी वाला किशनगंज जहा ७० प्रतिशत मुस्लिम आबादी रहती है. मुसलमानों के बहुमत के बावजूद, गैर मुसलमान यहाँ के पूर्ण शांति से रह रहे हैं| मुसलमान, हिंदुओं, एवं ईसाई धर्म के लोग आपस में जेसे रहते है वह साम्प्रदायिक सौहार्द का एक उत्कृष्ट उदाहरण है | . गुजरात , भागलपुर दंगे या अन्य ऐसी सांप्रदायिक दंगों के दोरान यहाँ लोगों की मानसिकता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा |. किशनगंज में मंदिर, मस्जिद और दरगाह सेकड़ो की सख्या में मोजूद है . यहाँ की सुबह मंदिरों में भजन और मस्जिद के Fazr और Azan के साथ शुरू होता है. चाहे ईद हो या होली यहाँ का माहोल पूरी तरह से एक अलग तरह का हो जाता है सभी लोग समान उत्साह के साथ सभी त्यौहार मनाते हैं.
. भौगोलिक रूप में व्यावसायिक के रूप में अच्छी तरह से किशनगंज कृषि क्षेत्र में है. किशनगंज की मिट्टी उपजाऊ और महानंदा प्रमुख नदी है और लगभग आधा दर्जन उसकी सहायक नदिया है , . किशनगंज को बिहार की चेरापुजी भी कहा जाता है | वर्षो पूर्व पोठिया के पनावाडा में छोटी सी जमीं पर शुरू हुई चाय की खेती ने आज किशनगंज को बिहार में चाय के जनक के रूप स्थापित कर दिया है | आज जिले के सेकड़ो एकड़ भूमि में चाय की खेती हो रही है | कुल मिलाकर यदि यह कहा जय तो गलत नहीं होगा " अगर धरती पर स्वर्ग है तो यहाँ हे , भले ही ये शब्द सम्राट जहांगीर ने कश्मीर घाटी और उसके बागानों की खूबसूरती का उल्लेख करते हुए कही थी परन्तु छोटे से जिले किशनगंज की हरियाली को देख कर भी यही लगता है बेशक, किशनगंज में बर्फ से ढकी घाटिया , नदियों, झीले जेसी खूबसूरती पहाड़ों के साथ नहीं है, देश के सबसे पिछड़े जिलों में से एक, किशनगंज शांति और भाईचारे का स्वर्ग है. आज जब पूरा देश सांप्रदायिकता के अभिशाप से पीड़ित है, किशनगंज अभी भी अपनी सदीयो पुराने शांति एवं भाईचारे को जीवित रखे है