Tuesday, December 29, 2009
हरगोरी मंदिर
उतर बंगाल एवं बिहार के सीमांत ठाकुरगंज शहर अवस्थित हरगोरी मंदिर में स्थापित है अद्भुत शिवलिग, जिसे पांडव काल के भग्नावेश के खुदाई के क्रम में वर्तमान मंदिर के पूर्वोतर कोण में पाया गया था . १०५ वर्ष पुराना यह मंदिर सम्पूर्ण विश्व में अनोखा है . वर्ष 2000 में यह स्वर्ण जयंती वर्ष मना चुकाने वाली इस शिवलिग में आधा जगत जननी माँ पार्वती की मुखाकृति अंकित है / इसकी स्थापना कविवर रविन्द्र नाथ टेगोर परिवार द्वारा बंगला संवत २१ माघ १९५७ यानी ४ फ़रवरी १००१ को की गई थी / इस हरगोरी मंदिर में स्थापित शिवलिग के सबंध में लोगो का कहना है की यह विश्व का एक अनोखा शिव लिंग है जिसमे शंकर के साथ माँ पार्वती विराजमान है / अब तक कई इसी घटनाए इस शिवलिग को पूजने वालो के साथ घटित हुई है जिस कारण इसे कामना लिंग के नाम से भी जाना जाता है | इस मंदिर के निर्माण से जुड़ा हर पहलू रोमानाचक है | जानकारों के अनुसार पशिम बंगाल का यह क्षेत्र बिहार में जाने के पूर्व कविवर रविन्द्र नाथ ठाकुर परिवार द्वारा १८९९ के जयेष्ट माह में जमीदारी का मुख्यालय बनाने के लिए वर्तमान मंदिर के पूर्वोतर कोण से ईटो की खुदाई प्रारंभ की गई | खुदाई के क्रम में मजदूरों ने तीन शिवलिंग पाया | तीनो शिवलिंगों को ठाकुर परिवार ने कलकत्ता में मोजूद अपने मुख्यालाया भेज दिया | इन तीनो शिवलिंगों में पार्वती की मुखाकृति वाले शिवलिंग को ठाकुर परिवार कोलकाता के टैगोर प्लेश में स्थापित करना चाहता था | लेकिन रात में दिखे स्वपन में टेगोर परिवार को ये मूर्ति वापस उसी स्थान पर स्थापित करने का निर्देश मिला | अगले ही दिन ठाकुर परिवार अपने पुरोहित भोला नाथ गांगुली के साथ यहाँ आकर १९०१ में ४ फरवरी को इस शिवलिंग की स्थापना की | छोटे से टिन के बने मकान में स्थपित इस हरगोरी लिंग के स्थापना काल को वहा मंदिर प्रांगण में लगी प्लेट प्रमाणित करने को काफी है |इन एक सो वर्षो में शिव भक्तो द्वारा एक भव्य मन्दिर का निर्माण वहा किया गया है जहा आज भी ठाकुर परिवार के पंडित भोला गांगुली का परिवार पुजारी के रूप में पूजा रत है | टैगोर परिवार पर स्वप्न का इतना प्रभाव पड़ा की जब जमींदारी की भूमि को सरकार को सोपा गया तब मंदिर के भूभाग को सरकार को नहीं सोपा गया | आज भी यहाँ भूमि टैगोर परिवार का ही हिस्सा है|
महाभारत काल से जुडा ठाकुरगंज उपेक्षित
अपना अज्ञातवाश पाडवों ने बिहार , नेपाल, एवं बंगाल के सीमा पर बसे ठाकुरगंज में बिताया था / यहाँ के विभिन्न जगहों पर मोजूद अवशेष इस बात की गवाही देते नजर आते है .की इस इलाके का इतिहास स्वर्णिम रहा है / समय के साथ सब कुछ बदल जाने के बाद भी ठाकुरगंज में पौराणिक अवशेष आज भी सुरक्षित है जिसे इतिहास के पन्नों में ''भीम तकिया ,भात - डाला , साग डाला के नाम से स्थान दिया गया है। यहाँ से पश्चिम में किचक वद्ध नामक जगह भी क्षेत्र के स्वर्णिम इतिहास की तरफ इशारा करता है / परन्तु इन सब के बाबजूद ठाकुरगंज जो एक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो सकता था आज भी उपेक्षित पड़ा है जबकि मुख्यमंत्री शहरी विकास योजना के अन्तर्गत ठाकुरगंज के पौराणिक स्थल को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा सकता है / इन सब में दार्जीलिंग ,गंगटोक जेसे समीपवर्ती पर्यटन स्थल तो सहयोगी सिद्ध होगे ही .
Wednesday, December 23, 2009
बौद्धिक स्तर पर भारत को घेर रहा है चीन
चीनी लाल सेना के भारत की सीमा में घुसपेढ के बीच बोधिक स्टार पर भी चीन भारत को घेरने में लगा है / रोटी बेटी के सम्ब्न्ध वाले भारत एवं नेपाल के प्रगाढ सबंधो के बीच नेपाल में लगातार अपनी पैठ बना रहा है /चीन वहा अपनी प्रभुता एवं सांस्कृतिक चेतना का प्रचार-प्रसार चायना स्टडी सेंटर के जरिए कर बौद्धिक स्तर पर अपनी पैठ बढ़ा रहा है। रोटी बेटी के संबंध वाले भारत नेपाल के प्रागाढ़ संबंधों से चीन की यह योजना कामयाब हो सकती है। जानकारी के मुताबिक अक्टूबर माह के अंतिम पखवाड़े में प्रखंड की सीमा से लगे नेपाल के झापा जिले में दूसरे चायनीज स्टडी सेंटर को खोलकर चीन ने भारत नेपाल सीमा पर अपनी दखल बढ़ा दी है। इससे पहले वर्ष 2007 से भद्रपुर में कार्यरत चीनी स्टडी सेंटर के बाद 16 अक्टूबर को विरतामोड़ में इस केन्द्र के उद्घाटन के अवसर पर चीन में नेपाल के राजदूत कियु गुयोहोंग ने भले ही इसे नेपाल एवं चीन की दोस्ती में एक अहम पड़ाव बताया है, परंतु खुफिया विभाग द्वारा केन्द्र सरकार को भेजी गई रिपोर्ट के अनुसार ये केन्द्र भारत के खिलाफ जासूसी केन्द्र बंद हो चुके हैं। खुफिया विभाग द्वारा केन्द्र सरकार को भेजी रिपोर्ट के अनुसार भारत नेपाल सीमा पर 24 ऐसे स्टडी सेंटर कार्यरत हैं। जो भारत के गतिविधि पर पैनी नजर रखते हैं। देश की सुरक्षा से जुड़े इस मसले पर केन्द्र सरकार यदि समय रहते नहीं चेती तो हजारों साल तक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में जाना जा रहा नेपाल चीन के कब्जे में आए तिब्बत जैसी हो जाएगी। तिब्बत को हड़पने के बाद एक बार माओ ने कहा था तिब्बत तो चीन की हथेली है। इसकी पांच अंगुलियां नेफा, अरुणाचल प्रदेश, भूटान, नेपाल, सिक्किम एंव लद्दाक में हैं। अपनी इन पाचो अगुलियो को अपने में समेटने के बाद लाल सेना द्वारा धिर्घ्कलिन निति अपनाई जा रही है . सन1962 में चीन द्वारा अरुणाचल प्रदेश के तवांग, वाउडीला आदि इलाकों में घूस 90 हजार वर्ग मील भूमि पर अपना दावा करना इसका उदाहरण है। विश्व के एक मात्र घोषित हिन्दू राष्ट्र नेपाल वर्तमान में माओवादियों के कब्जे में है .राजतन्त्र को हटाने के नाम पर तथा बाद में माओवादियों ने भारत विरोधी वातावरण नेपाल में फिलाया . नेपाल के माओवादियों के सहयोग से आज भारत में भी माओबाद फेलता जा रहा है देश के नौ प्रांतों के 170 जिले पूरी तरह माओवादियों के शिकंजे में हैं। चीन आज नेपाल को भारत विरोधी अड्डा के रूप में बनाने में काफी हद तक सफल हो चुका है
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