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Tuesday, January 5, 2010

हरगोरी मंदिर ठाकुरगंज


उतर बंगाल एवं बिहार के सीमांत ठाकुरगंज शहर  अवस्थित हरगोरी  मंदिर में स्थापित है अद्भुत शिवलिग, जिसे  पांडव काल के भग्नावेश के खुदाई के क्रम में वर्तमान मंदिर के पूर्वोतर कोण में पाया गया था . १०५ वर्ष पुराना यह मंदिर  सम्पूर्ण विश्व में अनोखा है . वर्ष 2000 में यह   स्वर्ण जयंती वर्ष मना चुकाने वाली इस शिवलिग में आधा जगत जननी माँ पार्वती की मुखाकृति अंकित है / इसकी स्थापना कविवर रविन्द्र नाथ टेगोर परिवार द्वारा बंगला संवत २१ माघ १९५७ यानी ४ फ़रवरी १००१ को की गई थी / इस हरगोरी मंदिर में स्थापित शिवलिग के सबंध में लोगो का  कहना है की यह विश्व का एक अनोखा शिव लिंग है जिसमे शंकर के साथ माँ पार्वती विराजमान है / अब तक कई इसी घटनाए इस शिवलिग को पूजने वालो के साथ घटित हुई है जिस कारण इसे कामना लिंग के नाम से भी जाना जाता है | इस मंदिर के निर्माण से जुड़ा हर पहलू रोमानाचक है | जानकारों के अनुसार पशिम बंगाल का यह क्षेत्र बिहार  में जाने के पूर्व कविवर रविन्द्र नाथ ठाकुर परिवार द्वारा १८९९ के जयेष्ट माह में जमीदारी का मुख्यालय बनाने  के लिए वर्तमान मंदिर  के पूर्वोतर कोण से ईटो की खुदाई प्रारंभ  की गई | खुदाई के क्रम में मजदूरों ने  तीन शिवलिंग पाया | तीनो शिवलिंगों को ठाकुर परिवार ने कलकत्ता में मोजूद अपने मुख्यालाया भेज दिया | इन तीनो शिवलिंगों में पार्वती की मुखाकृति वाले शिवलिंग को ठाकुर  परिवार  कोलकाता के टैगोर प्लेश में स्थापित करना चाहता था | लेकिन रात में  दिखे स्वपन में टेगोर परिवार को ये मूर्ति वापस उसी स्थान पर स्थापित करने का निर्देश मिला |  अगले ही दिन ठाकुर परिवार अपने पुरोहित भोला नाथ गांगुली के साथ यहाँ आकर १९०१ में ४ फरवरी को इस शिवलिंग की स्थापना की | छोटे से टिन के बने मकान में स्थपित इस हरगोरी लिंग के स्थापना काल को वहा मंदिर प्रांगण में लगी प्लेट प्रमाणित करने को काफी है |इन एक सो  वर्षो में शिव भक्तो द्वारा एक भव्य मन्दिर का निर्माण वहा किया गया है जहा आज भी ठाकुर परिवार के पंडित  भोला गांगुली का परिवार पुजारी के रूप में पूजा रत है  | टैगोर परिवार पर स्वप्न का इतना प्रभाव पड़ा की जब  जमींदारी की भूमि को सरकार को सोपा गया तब मंदिर के भूभाग को सरकार को नहीं सोपा गया | आज भी यहाँ भूमि टैगोर परिवार का ही हिस्सा है|     

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