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Saturday, December 18, 2010

मेहमान पंक्षियों से गुलजार हुआ कच्चूदह झील

ठाकुरगंज के छैतल पंचायत अंतर्गत दो सौ एकड़ में फैले कच्चूदह झील के सिकुड़ते आकार के बावजूद प्रत्येक वर्ष विदेशी पक्षियों का यहां बड़े पैमाने पर आना होता है। ठंडक के मौसम में यह झील मेहमान पंक्षियों के कौतूहल से गुलजार हो जाता है। इस बार भी बड़े पैमाने पर सैलानी पंक्षी आये हैं। झील पर शिकारियों की कुदृष्टि भी रहती है। इसके चलते सैकड़ों पंक्षी अपने साथी खोकर लौटते हैं। शिकारियों पर अंकुश के लिए संबंधित विभाग द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जाती है।
इस संबंध में पर्यावरण विद्  मानते है  कि ठाकुरगंज तथा पोठिया क्षेत्र में कई प्रजातियों के विदेशों पंक्षी नवम्बर के अंतिम सप्ताह से आना शुरू कर देते हैं और वह मार्च तथा अप्रैल के प्रथम सप्ताह तक यहां रहते हैं। इस दौरान किसी भी प्रजाति की पंक्षी यहां प्रजनन नहीं करता। अनुकूल वातावरण में पक्षी यहां रहकर वापस साईवेरिया चले जाते हैं।   इस समय लालसर पंक्षी काफी कम संख्या में आते है। कारण यह है कि लालसर और चाहा को स्थानीय लोग मारकर खा जाते हैं। इसी प्रकार मेहमान पंक्षियों में नीलसर, खजंन, गढ़वाल, गारगेनी, वाडहेडगिज आदि का भी लोग शिकार करते हैं।
अबा तक जनप्रतिनिधियों द्वारा झील को पर्यटन स्थल में तब्दील कराने का वायदा किया जाता रहा है, लेकिन उसे अब तक हकीकत में नहीं बदला जा सका है।  झील के उअपेक्षा  के  कारन लगभग दो सौ एकड़ में फैले झील में पानी काफी कम हो गया है।  यह झील जिला ही नहीं प्रदेश की धरोहर है। इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित नहीं करना क्षेत्र के लोगों के साथ अन्याय है।
कई बार अधिकारी भी इस झील का निरीक्षण किये। नौका बिहार व पर्यटन स्थल बनाने की बात हुई, लेकिन बस योजना बनाने की बात तक ही मामला सीमट कर रह गया।

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